श्याम प्रभु की मोरछड़ी, जब जब लहराती है,
नामुमकिन को भी मुमकिन, झट कर जाती है ।।
तर्ज – देना हो तो दीजिये ।
इस कलयुग में श्याम नाम ही, केवल एक अधारा है,
निर्बल का बल, और हारों को, देता श्याम सहारा है,
हाथों की लकीरें बदले, किस्मत बन जाती है ।। श्याम ।।
जिन्हें भरोसा श्याम प्रभु का, कभी नहीं घबराते हैं,
उनके सारे दुखड़े बाबा, पल में दूर हटाते हैं,
गम सारे खो जाते हैं, खुशियाँ छा जाती है ।। श्याम ।।
प्रभु की मोरछड़ी में, श्याम प्रभु की शक्ति है,
कहे ‘रवि’ उस पर ही घूमें, जिनकी साँची भक्ति है,
ये झूठ का साथ न देती, सच को अपनाती है ।। श्याम ।।