आँगण माँही झूलो घाल्यो, झूल ताँई आजा तूं,
भक्ताँ मिलकर झोटा देसी, आकर रंग जमाता तूं ।।
तर्ज – लीले घोड़े का हाँकणिया ।
भादूड़े की आठे आयी, मन म खुशियाँ छायी है,
साल सँवाई आवे है तूं, इसलिये आश लगायी ह,
प्रेम पुराणो तेरो-मेरो, आकर आज निभाजा तूं ।।
बादल गरजे बितली चमके, तेज चले पुरवाई है।
रिमझिम रिमझिम मेहरो बरसे, म्हारे बाई समाई है।
झूले माँही बैठके म्हाने, थारी डोर थमाता तू ।।
माखन-मिश्री, दूध-मलायी, धोली गाय को कायो है,
हरे बाँस की बाँसुरिया प्रभु, यमुना तट बणवायो है,
मुरली बजाजा रास रचाया, वृन्दावन दरसा जा तूं ।।
श्याम बहादुर प्रीत पुराणी, श्याम धणी ने भावे है,
आलू सिंह की अरज सुनै जद, झूलण ताँई आवै है,
दास गाड़ियो निरख रह्यो शिव, नैणाँ माँही समां जा तू ।।