ये तो प्रेम के आँसू है प्यारे, हर जगह ये गिरते नहीं है।
देख नजरों के आगे खुद अपनी, चाहने पर भी रुकते नहीं है ।। टेर ।।
तर्ज – ये तो प्रेम की बात है ऊधो ।
प्रेम होता नहीं हर किसी से, स्वतः होता है अनुभूति होती,
प्रेमी मिलते ही महसूस होता, पता चलता है जब बुद्धि खोती
हाले दिल की कहे क्या कन्हैया, नयन जल ही बयां करते हैं।।
इन अँखियों में श्याम तरी मूरत, नहीं भाती किसी की भी सूरत,
लोग चेहरे से ही प्यार करते, सच्ची होती है प्रेमी की सीरत,
मिले श्याम कृपा से दो नैना, दोनों में ही श्याम रहते हैं।।
मेरी आँखों ने जब जब निहारा, पाया जीवन में अद्भुत उजाला,
तेरी नजरों की हुयी जो इनायत, प्रेमी भक्तों का चमका सितारा,
अब तो ‘गोपाल’ हमें दो इजाजत, बंद आँखों से बातें करते हैं।।
लिरिक्स – हेमंत गोयल (गोपाल) जी