तुझे कैसे सजाऊँ प्रभु, तूंने दुनिया सजायी है,
तेरी रचना क्या लिखूं, तूंने सृष्टि रचायी है ।।
तर्ज़ – बचपन की मुहब्बत को ।
सेवक मैं तुम्हारा हूँ, स्वामी तूं मेरा है,
चलती हुयी श्वांसो पे, अधिकार भी तेरा है,
तुमने मुझ पर तो सदा, खुशियाँ बरसाई हैं….
तुम ही तो करता हो, जग पालनहारे है,
तेरी कृपा उसे मिलती, जो शरण तुम्हारी है,
जो तेरा बन जाता, यही सच्ची कमाई है….
तेरी महिमा को कोई, नहीं जग में जान सका,
सब वेद पुराण थके, ज्ञानी का ज्ञान थका,
लीला ‘गोपाल’ तेरी, मेरे समझ न आयी है….
लिरिक्स – हेमंत गोयल (गोपाल) जी