अंधेरो की नगरी से, कैसे मैं पार जाऊं,
श्याम अब लेने आजा, हौसला हार ना जाऊं,
तीन बाण के धारी, तीनो बाण चलाओ ना,
मुश्किल में है दास तेरा, अब जल्दी आओ ना,
हारे के सहारे मेरे हारे के सहारे,
हारे के सहारे, मेरी हार हराओ ना,
तीन बाण के धारी, तीनो बाण चलाओ ना,
मुश्किल में है दास तेरा, अब जल्दी आओ ना।।
तूफानों ने घेर लिया, मुझे राह नजर ना आवे,
तुम बिन कौन मेरा जो, मेरी बांह पकड़ ले जावे,
भटक रहा राहों में बाबा, पार लगाओ ना,
तीन बाण के धारी, तीनो बाण चलाओ ना,
मुश्किल में है दास तेरा, अब जल्दी आओ ना।।
किसको रिश्ते गिनवाऊँ, किसे जात बताऊँ मैं,
क्या क्या जख्म दिए जग ने, किसे घात दिखाऊं मैं,
बिन कुछ पूछे श्याम हमारा, कष्ट मिटाओ ना,
तीन बाण के धारी, तीनो बाण चलाओ ना,
मुश्किल में है दास तेरा, अब जल्दी आओ ना।।
अनजानी नगरी में, सब अनजाने लगते है,
हम तो तेरी याद में, रो रो रातें जगते है,
बहता इन आँखों से बाबा, नीर थमाओ ना,
तीन बाण के धारी, तीनो बाण चलाओ ना,
मुश्किल में है दास तेरा, अब जल्दी आओ ना।।
कृष्ण को जिसने दान दिया, उस दानी के आगे,
हमने सुना तेरा नाम लिए से, संकट सब भागे,
‘छोटू’ की विपदा को बाबा, आग लगाओ ना,
तीन बाण के धारी, तीनो बाण चलाओ ना,
मुश्किल में है दास तेरा, अब जल्दी आओ ना।।
स्वर- छोटू सिंह रावना
लेखक – छोटू सिंह रावना