श्याम शरण मँ, आजा प्यारे, क्यों तूं भटक रहा है,
लख चौरासी के, बंधन में, क्यों तूं अटक रहा है,
भजले राधे राधे श्याम, जपले सीता सीता राम ।। श्याम ।।
तर्ज – माई नी माई ।
प्रेम है अर्पण, प्रेम समर्पण, प्रेम कहां कुछ मांगे,
प्रेम त्याग है, प्रेम तपस्या, प्रेम भाव तब जागे,
सबसे ऊंची प्रेम सगाई, क्यूँ ना समझ रहा है ।। लख ।।
जगवालों से, चोट मिलेगी, बस धोका खायेगा,
मोह माया में, फंसा रहा तो, हाथ न कुछ आयेगा,
श्वांस श्वांस में कृष्ण बसाले, क्यूँ मन बहक रहा है ।। लख ।।
प्रभु को अपना, साथी बनाले, फिर हर पल जीतेगा,
श्याम कृपा से, तेरा हर दिन, खुशियों में बीतेगा,
खुद के दु:ख गोपाल भुला दे, ये मन चहक रहा है ।। लख ।।