संभालोगे नहीं तुम तो, संभाले कौन फिर प्यारे,
भरोसा आपका भारी, हमें है बांसुरी वारे ।। टेर ।।
तर्ज – न झटको जुल्फों से पानी ।
लगाकर प्रीत अपनों से, छकाते क्यूं हे मनमोहन,
जानते और को ना हम, क्यों जायें दूजे के आंगन,
जुड़ा है तार जब तुमसे, तो फिर क्यूं और की धारें ।। १ ।।
निभाया आपने अब तक, निभाना आगे भी तुमको,
कहाते दीन के बंधु, भुलना ना कभी हमको,
भार तुझपे ही है सारा, आप हो सबके रखवारे ।। २ ।।
है कहना आप से स्वामी, सरस नजरें इधर फेरो,
करो करुणा हे नन्द नन्दन, दास है चरण को चेरो,
है ‘सांवर’ शरण में तेरी, माफ अपराध कर सारे ।। ३ ।।
लिरिक्स – सांवर जी