प्रेम भक्तों से करते हो, थोड़ा प्रेम जताया करो,
बस महीने में दो चार दिन, मेरे घर पे बिताया करो ।
तर्ज – सांवर के रहते तुम ।
काम ऐसा करो सांवरे, हमें विश्वास हो जाये,
घरपे आने की तारीख श्याम, तुम खुद ही बताया करो ।
मन्दिर के पुजारी से ध्यान, हम ज्यादा ही रख्खेंगे,
उनसे पूजा कराया करो, हमसे सेवा कराया करो ।
तुमको आदत सी पड़ गयी है, बाबा माल लुटाने की,
मेरे घर पे भी रोज रोज तुम, दरबार लगाया करो ।
बिन भक्तों के एक पल भी, तुमसे रहा नहीं जाता,
दिन रहने के ‘बनवारी’ हर बार बढ़ाया करो ।
लिरिक्स – जयशंकर चौधरी जी