ओ मनमोहन मुरलीवाले, छोटी सी अरदास मेरी ।
जब भी बाबा श्याम पुकारूँ, मत करना पल की देरी ।।
तर्ज – फूल तुम्हें भेजा है खत में।
जब से होश सम्हाला मोहन, तेरा ही गुणगान किया ।
तेरे दर पर शीश झुकाया, तेरा ही बस ध्यान किया ।
तुम ही नैया, तुम ही खिवैया, तुम ही हो पीड़ाहारी ।। १ ।।
थारे सूं म्हारी प्रीत पुराणी, खाटू वाले साँवरिया ।
कैसे हिवड़ो खोल दिखाऊँ, बोलो नटवर नागरिया ।
तुम ही मेरे, जीवन साथी, तुम ही मेरे हितकारी ।। २ ।।
झूठे है सब रिश्ते-नाते, झूठी दुनियादारी है ।
साँचो प्रेम जगत मं थारो, साँची थारी यारी है ।
मन में है, विश्वास तुम्हारो, दिल में है मूरत प्यारी ।। ३ ।।
थारी कृपा से ही मन मोहन, ये जीवन गुलजार हुवा ।
जो भी चाहा, सब कुछ पाया, मुझको तुझसे प्यार हुवा ।
श्याम बहादुर, ‘शिव’ की विनती, सुनना हे लीलाधारी ।। ४ ।।
लिरिक्स – शिव चरण जी भीमराजका