हम गरीबों से रखता है यारी,
नाम उसका है बांके बिहारी ।।
तर्ज – मनिहारी का भेष बनाया ।
वो तो रहता है देखो वृंदावन में,
चला आता है वो हर उलझन में,
उसे यारी गरीबों की प्यारी ।। नाम उसका….।।
उसकी गलियों में हम भी जाते रहते,
याद उसको ये हम दिलाते रहते,
यारी लगती है अच्छी तुम्हारी ।। नाम उसका…।।
उसके जैसा कोई यार मिलता नहीं,
उसके जैसी सम्हाल कोई रखता नहीं,
उसको बचपन से प्रेम की बिमारी ।। नाम उसका….।।
कोई कहता है कृष्ण कन्हैया,
उसे कोई गोपाल बंशी बजैया,
खुद को कहता है प्रेम का पुजारी। नाम उसका….।।
हमसे प्रेम बणाये रखना तूं,
और गले से लगाये रखना तूं,
प्रेम मांगते हैं तुमसे ‘बनवारी’। नाम उसका….।।
लिरिक्स – जयशंकर चौधरी जी