दो छोटे छोटे घर है जिसे नैणां कहते हैं,
कभी इस घर में कभी इस घर में मेरे कान्हा रहते हैं ।।
तर्ज – अफसाना लिख रही हूँ ।
उस घर का क्या कहना जो, इसको पसन्द है – २,
तकलीफ नहीं हो कोई, ऐसा प्रबन्ध है – २,
घर सफाई करते जो आंसू बहते हैं ।। कभी इस…।।
हैं दिल के करीब मेरे, अपनों में आता है – २,
जब भी मिलना होता है, सपनों में आता है – २,
निंदिया ना टूटे मेरी, ये कोशिश करते हैं ।। कभी इस…।।
मुश्किल से रहने आया, ये प्यारा सा मेहमान – २,
परेशान नहीं हो जाये, रखते हैं पूरा ध्यान – २,
जब भी झपकती पलकें धीरे से खोलते हैं ।। कभी इस…।।
‘बनवारी’ दिल के घर में, रहने से डरता है – २,
सोने नहीं दे इसको, दिन भर धड़कता है – २,
ये छोड़ चला ना जाये, इस बात से डरते हैं ।। कभी इस…।।