तेरे वास्ते मैं शायद, कुछ भी नहीं हूँ,
मेरी सारी दुनिया बस एक तूं ही है ।।
तर्ज – तुम्हीं मेरे मन्दिर तुम ही मेरी ।
सरकार कहते-कहते, थकते नहीं हम,
सब कुछ तुम्हीं हो मेरे, यही जानते हम,
जैसे भी रख्खो हमको परवाह नहीं है ।। मेरी…. ।।
चलो हम बतायें, एहमियत तुम्हारी,
तेरे बिन है नामुमकिन, ये जिन्दगी हमारी,
यकीं कर सको तो करलो, सच इक यही है ।। मेरी…. ।।
एक यही चाहत मेरी, ऐसा नसीब हो,
कैसे भी दिन हो मेरे तूं मेरे करीब हो,
इतना करम तुम रखना विनती यही है ।। मेरी ….