कब तक परखेगा द्वार खड़े दुखियारों पर लिरिक्स

Kab Tak Parkhega Lyrics

कब तक परखेगा, कब तक परखेगा,
द्वार खड़े दुखियारों पर, तूं किस दिन पिघलेगा ।। टेर ।।

तर्ज – मैं ना भूलूंगा ।

अरजी दरबार तेरे, हमने लगायी थीऽऽऽ, तुम्हें फुर्सत ही नहीं, हुयी ना सुनवायी थीऽऽऽ,
टूट रहा है धीरज अब तो, नाजुक है हालात, अपने प्रमी की पीड़ा को, कब तूं समझेगा,
कब तूं निरखेगा, किस दिन पिघलेगा ।। १ ।।

हमार अश्कों का, क्या कोई मोल नहींऽऽऽ, सहारा हारे का, किया क्या था कौल नहींऽऽऽ,
दुखियों की अंसुवन धारा से, आयेगा सैलाब, बाबा फिर तूं भक्तों से, मिलने को तरसेगा,
कब तूं निरखेगा, किस दिन पिघलेगा ।। २।।

जुड़े जो नये-नये, उन्हें अपनाते होऽऽऽ, पुराने भक्तों को, प्रभु क्यों ठुकराते होऽऽऽ,
कुनबे के बढ़ने का भ्रम तो, पालो ना दीनानाथ, जिनके काम हुये ही नहीं वो,काहे ठहरेगा
कब तूं निरखेगा, किस दिन पिघलेगा ।। ३।।

सुना दरबार में तेरे, देर है अंधेर नहींऽऽऽ, आसरा तेरा है, प्रभु कोई ठौर नहींऽऽऽ,
आस लगाये बैठा ‘राजु’, पूरा है विश्वास, मोरछड़ी लहरादो बाबा, जीवन सुधरेगा,
कब तूं निरखेगा, किस दिन पिघलेगा ।। ४ ।।