जब कोई ना संभाले, संभालता है श्याम,
कोई ना कोई रास्ता निकालता है श्याम….
ऐसा कोई काम नहीं है, श्याम धणी मेरा कर नहीं सकता,
ऐसा दामन बना नहीं जिसे, श्याम धणी मेरा भर नहीं सकता,
हो चाहे जैसी किस्मत संवारता है श्याम,
कोई ना कोई रास्ता निकालता है श्याम….
थोड़ा वक़्त निकल जाने दे, देवो का सरताज बनेगा,
जो ना माने इसकी हुकूमत, दर दर का मोहताज बनेगा,
जनम-जनम का रास्ता सुधारता है श्याम,
कोई ना कोई रास्ता निकालता है श्याम….
मंदिर के पत्थर पत्थर पर, लिखा हुआ हारे का सहारा,
मंदिर बहुत बनेंगे लेकिन, बने ना मंदिर ऐसा दोबारा,
खुद मंदिर की नज़रें उतारता है श्याम,
कोई ना कोई रास्ता निकालता है श्याम….
‘बनवारी’ इसकी भक्ति से, विपदा सारी पल में टलेगी,
श्याम नाम का मंत्र सुना दे, नैया अपने आप चलेगी,
जादूगारी मोरछड़ी संभालता है श्याम,
कोई ना कोई रास्ता निकालता है श्याम….
जब कोई ना संभाले, संभालता है श्याम,
कोई ना कोई रास्ता निकालता है श्याम….
लिरिक्स – जय शंकर चौधरी जी