निकले मेरे प्राण हंसते हंसते, कीर्तन तेरा श्याम करते करते ।
तर्ज – गली गली ऐलान होना ।
अन्त समय जब आये मेरा, मुख पर तेरा नाम हो,
मोर छड़ी हाथों में लेकर, सामने मेरा श्याम हो,
बस अन्तिम प्रणाम करते करते ।। कीर्तन… ।।
अगले जनम में मुरली वाले सूरत तेरी याद रहे,
साथ हमारा छोड़ ना देना जनम-जनम तूं साथ रहे,
विदा कराना हाथ धरते धरते ।। कीर्तन… ।।
अन्त समय में श्याम अगर मैं, बिना बुलाये चला गया,
फिर भी शिकायत ये मत करना, बिना बताये चला गया,
करूं नहीं परेशान मरते मरते ।। कीर्तन… ।।
‘बनवारी’ ना हिसाब लगाना, श्याम कोई भी भूल का,
मेरे माथे तिलक लगाकर, तेरे चरण की धूल का,
ले जाये इन्सान हंसते हंसते ।। कीर्तन… ।।
लिरिक्स – जयशंकर चौधरी जी