कन्हैया एक नज़र जो आज तुझको देखता होगा,
मेरे सरकार को किसने सजाया सोचता होगा ।।
तर्ज – खुदा भी आसमा से जब जमी पर देखता होगा ।
सजा कर खुद वो हैरान है, के ये तस्वीर किसकी है,
सजाया तुझको जिसने भी, हसी तकदीर उसकी है,
कभी खुश हो रहा होगा, ख़ुशी से रो रहा होगा,
कन्हैया एक नज़र जो आज तुझको देखता होगा ।।
ज़माने भर के फूलो से, कन्हैया को लपेटा है,
कलि को गूथ कर कितने, ही गजरो में समेटा है,
सजा शृंगार न पहले, न कोई दूसरा होगा,
कन्हैया एक नज़र जो आज तुझको देखता होगा ।।
फ़रिश्ते भी तुझे छुप छुप, के कान्हा देखते होंगे,
तेरी तस्वीर में खुद की, झलक वो देखते होंगे,
‘हर्ष’ के दिल पे जो गुजरे, ये वो ही जानता होगा,
कन्हैया एक नज़र जो आज तुझको देखता होगा ।।
लिरिक्स – गोपाल जी भटिआ
इस तर्ज पे दूसरा भजन – भलाई कर भला होगा लिरिक्स