भलाई कर भला होगा, बुराई कर बुरा होगा,
कोई देखे या ना देखे, साँवरा देखता होगा,
भलाई कर भला होगा, बुराई कर बुरा होगा।
किसी का भी भला करके, नफ़ा नुक्सान मत गिनना,
मदद करके गरीबों की, कभी अभिमान मत करना,
ये दुनिया चार दिन की है, फिर उसके बाद क्या होगा,
भलाई कर भला होगा, बुराई कर बुरा होगा ।
ज़माना व्यस्त है देखो, दूसरों की बुराई में,
नज़र आता नहीं की, छेद है खुद की सुराही में,
तुझे खुद के गिरेबाँ में ही, पहले झाँकना होगा,
भलाई कर भला होगा, बुराई कर बुरा होगा ।
अहम के आईने “माधव”, जल्द ही टूट जाते हैं
मगर उस वक़्त के पीछे, बहुत कुछ छुट जाते हैं,
संभल जा वक़्त के रहते, बाद में वक़्त ना होगा
भलाई कर भला होगा, बुराई कर बुरा होगा ।