काल रात ने सपणो आयो,
बाबो हेला मारे,
मंदिर में मेरो मन नहीं लागे,
मनै ले चालो सागै।।
भगत मेरा मनै याद करै,
और खाटू ना आ पावै,
कालजड़ो मेरो भर भर आवै,
कुछ भी नहीं सुहावै।।
भाव भजन थारा चोखा लागै,
याद घणेरी आवै,
लीलो भी मेरो छम छम नाचै,
बिल्कुल ना रूक पावै।।
राख भरोसो बाबो थारो,
था पर जान लुटावै,
बणीं न कोई आफत एसी,
जो थानै भरमावै।।
संजू बोले वनवारी यो,
सपनो सच हो जावे,
म्हारे घरा ले चालु बाबा,
थाने म्हारे सागे।।