कैसे बताऊँ श्याम ने, क्या क्या नहीं किया,
अपने गले लगाके मुझे, हँसना सिखा दिया ।। टेर ।।
तर्ज़ – मिलती है जिन्दगी में ।
खाता रहा था ठोकरें, दर दर की मैं सदा – १,
मंजिल का मेरे श्याम ने, रस्ता दिखा दिया ।। कैसे ।।
गिरता रहा था मैं सदा, उठने की चाह में – २,
बाँहें पकड़ के श्याम ने, चलना सिखा दिया ।। कैसे ।।
तड़फा था जिसके वास्ते, रातों को मैं सदा – ३,
सपना मुझे वो श्याम ने, दिन में दिखा दिया ।। कैसे ।।
कितने ही रंग भर दिए, जीवन में तूने श्याम – ४,
फूलों से तूने “हर्ष” का, मधुबन सजा दिया ।। कैसे ।।
लिरिक्स – विनोद अग्रवाल (हर्ष) जी