हेत लगा श्री श्याम प्रभु से, सब कुछ मिलसी रे,
जनम-मरण का भव बन्धन, तेरा कटता ज्यासी रे ।। जनम … ।।
तर्ज – कुण जाने या माया श्याम ।
जिसने लिया सहारा प्रभु का, अमर मोक्ष पद वो पाया,
सूरदास के श्याम मनोहर, मीरां मुरलीधर पाया,
चेतो कर ले हिय मं धर ले, आडो आसी रे ।। जनम … ।।
एक दिन जाणो है दुनियां से, ना कोई रोक्यो रुकसी रे,
मालिक की मर्जी के आगे, नौकर की के चलसी रे,
या ही सोच नाड़ कर नीची, सोदो पटसी रे ।। जनम … ।।
बिना भजन नहीं तिर्यो जगत में, के राजा के योगी रे,
‘रामकुमार’ शरण प्रभु की ल्यो, होणी हो सो होसी रे,
श्याम निरालो खाटूवालो, निश्चय सुणसी रे ।। जनम … ।।