हरदम रहता साथ वो मेरे,
सांझ कहु या कहु सवेरे,
उसकी कृपा है मुझपे,
उसकी दया है मुझपे….
(तर्ज – चाहूंगा में तुझे साँझ सवेरे)
श्वासो की लय में वो,
वाणी के स्वर में वो,
धड़कन धड़कती कहती,
उसकी कृपा है मुझपे,
उसकी दया है मुझपे,
हरदम रहता साथ वो मेरे….
अंदर मेरे बैठा वो,
निरख रहा मुझको सदा,
मिलते मुझे इशारे,
उसकी कृपा है मुझपे,
उसकी दया है मुझपे,
हरदम रहता साथ वो मेरे….
देखे है मेने चाहने वाले,
उस जैसा ना कोई मिला,
जोगन में उसके द्वार पे,
उसकी कृपा है मुझपे,
उसकी दया है मुझपे,
हरदम रहता साथ वो मेरे….
लिरिक्स – श्री पवन भाटिया जी