हारे को हरदम, जिताता है तू हीं लिरिक्स

Haare Ko Hardam Jitata Hai Tu Hi Lyrics

हारे को हरदम, जिताता है तू हीं,
रोते को हँसना, सिखाता है तू हीं,
अब हार के मैं भी श्याम, तेरी शरण में आया हूँ,
कुछ पास नहीं केवल, दो आँसू लाया हूँ,
रखना सम्भाल के – २, जाये बेकार न ये – १ ।। टेर ।।

तर्ज़ – हारे का तू ही सहारा ।

कदर आँखों की, ज़माना ना जाने,
मजदूरों की ये, रूलाना ही जाने,
आँसू की कीमत तो, बस तू ही जानता है
इस प्रेम निशानी को, तू ही पहचानता है ।। २ ।।

रखो चाहे जैसे, शिकायत नहीं है,
बेबसों की जग में, हिफाजत नहीं है,
अपने ही सताते हैं, और सितम ढहाते हैं
कुछ कहना भी चाहें, तो ये आँख दिखाते हैं ।। ३ ।।

मेरा साथी बनके, मेरे साथ रहना,
इतना ही तुझसे, मुझे श्याम कहना,
घनघोर अँधेरा है, आये ना राह नज़र,
बिन तेरे कटे कैसे, ‘मोहित’ जीवन का सफर ।। ४ ।।

लिरिक्स – आलोक गुप्ता (मोहित) जी