फागुन में जायेंगे, बाबा को मनायेंगे,
खाटू के मेले में, “निशान चढ़ाके” – २ ।।
तर्ज – जब हम जवां होंगे ।
रंग बिरंगी श्याम ध्वजा हम बनवा के,
जय कारा श्री श्याम धणी का लिखवा के,
रींगस से पैदल चलते हम, गणपत को मनाके,
शिव बजरंग रिझाके ।। फागुन ।।
रींगस से जब खाटू नगरी जायेंगे,
श्याम धणी को मीठे भजन सुनायेंगे,
ढप-ढोल, नगाड़ा, चंग पे धमाल मचाके,
भाई रंग जमाके।। फागुन ।।
फागुन में यहां सदा अदालत लगती है,
घनश्याम गाड़िया का रेफरेंस भी चलता है,
मंदिर में जा करके, हृदय की बात सुनाके,
हर बात बताके।। फागुन।।
आलू सिंह जी, जब आंसू बह जायेंगे,
मन मंदिर में, श्याम के दर्शन पायेंगे,
मन से निकले भावों में थोड़ा मक्खन लगाके,
चरणों में चढ़ाके।। फागुन।।
श्याम बहादुर शिव रंगीला मौका हैं,
चलो श्याम के द्वारे क्यूं तूं रोता है,
वो धीरे बढ़ायेंगे हमको दिल से लगाके,
अपने पास बिठाके ।। फागुन।।