देर से आने की तेरी आदत, बाबा बहुत पुरानी है,
तब आता है तूं जब सर से, ऊपर उठता पानी है ।। देर… ।।
तर्ज – कसमें वादे प्यार वफा ।
बीच सभा में लूटने लगी जब, द्रोपदी तुम्हे पुकारी थी,
सर को झुकाए बैठा कुटुम्ब था, तूंने बढ़ायी साड़ी थी,
भाई बहन के प्यार की ये तो, अद्भुत सत्य कहानी है ।।
नगर सेठ कहलाये नरसी, भजन फकीरी में डोले,
भात भरण को पहुँच गये थे, तम्बूरा ले जय बोले,
भात मायरा भरने आये, जब गयी डूबने नानी है ।।
महलों की रानी थी मीरां बाई, इकतारा ले भजन किया,
राजा राणा बैरी हो गया, जिसने वार पे वार किया,
पी गयी दूध का प्याला मीरा, सारी दुनिया जानी है ।।
विप्र सुदामा बनके याचक, जब तेरे द्वार पे आया था,
हे ‘गोपाल’ भी जाकर के, तूंने उसे अपनाया था,
पहले ही क्यूँ ना बरसाते, कृपा बरसानी है ।।