भोलो आंक धतूरा खावे रे लिरिक्स

Bholo Aank Dhatura Khave Re Lyrics

भोलो आंक धतूरा खावे रे,
पीकर भंग को प्याला, तन पर भष्म रमावे रे,
भष्म रमावे रे, गले विषधर लिपटावे रे ।। टेर ।।

तर्ज – ढ़ोला ढ़ोल मजीरा ।

माथे ऊपर चन्द्र विराजे, जटा में गंग की धार,
कर त्रिशूल व डमरू साजे, नन्दी को असवार,
गट-गट विष को प्यालो पीवे रे ।। १ ।।

तीन लोक बस्ती में बसाकर आप बस्या बन मांय,
भूत और प्रेतां को सागो, माया अजब रचाय,
बाबो धूणी अलख जगावे रे ।। २ ।।

पर्वत राज न बेटी ब्याही, देखके जोगी फकीर,
‘हर्ष’ कह्वे गौरा मैया की, आज खुली तकदीर,
देवता झूमे नाचे गावे रे ।। ३ ।।

लिरिक्स – विनोद अग्रवाल (हर्ष) जी