भाई बहन के प्रेम का रिश्ता,
सब रिश्तों से न्यारा है,
एक दूजे की ताकत है ये,
एक दूजे का सहारा है, हो हो ।।
तर्ज – ताजा ताजा कली खिली है ।
इस बंधन में बड़ी शक्ति है,
सारी दुनिया इसे अपनाई,
विश्वास है ये हर बहना को,
के उसके साथ खड़ा भाई,
रक्षा बंधन का त्योंहार.. हो,
हर त्योंहार से प्यारा है,
एक दूजे की ताकत है ये,
एक दूजे का सहारा है, हो हो ।।
कोई वचन नही अनुबंध नही,
फिर भी ये निभता जाता है,
ये भाई बहन का अपनापन,
हर उम्र में बढ़ता जाता है,
‘अम्बरीष’ कहे ये डोर नही.. हो,
ये तो संस्कार हमारा है,
एक दूजे की ताकत है ये,
एक दूजे का सहारा है, हो हो ।।
लीरिक्स – अम्बरीष कुमार जी