अर्जी करते करते मैं तो हार गया,,,, (2)
क्यू ना ली है खबर, मेरे दातार ने,,,, (2)
(तर्ज- हाजरी लिखवाता हूं हर ग्यारस पे)
लाखो की बिगड़ी बनी, तेरे द्वार पे,,,,, (2)
नजरे मुझ से फ़ेर ली, अखिर क्यू आपने,,,,,, (2)
क्या कमी है दिखी, तुझे मेरे प्यार मे।।
आता रहा हू द्वार पे, मै आता रहूँगा,,,, (2)
तेरे सिवा मै सॉवरे, किससे कहूँगा,,,,, (2)
ऐसा दाता कोई, तुझसा संसार में।।
हारे का सहारा है, खाटू वाला श्याम,,,,, (2)
इसीलिए तो घर से चलकर, आया खाटू धाम,,,, (2)
कर दे अब तू महर, मेरे परिवार पे।।
जय जयकार करूंगा तेरी, मेरे बाबा श्याम,,,,, (2)
फागुन मे परिवार ले, मै आऊंगा खाटू धाम,,,,, (2)
लाखो देखे करिश्मे, तेरे दरबार मे।।
लिरिक्स – श्री पवन भाटिया जी