ऐसा दीनबन्धु दातार, नाथ मेरा श्याम मुरारी है,
हाSऽ श्याम मुरारी है, नाथ मेरा कृष्ण मुरारी है ।। टेर ।।
तर्ज – रसिया ।
करुणा सागर भव दुःखहर्ता, मायापति जग पालन करता,
दुष्ट जनों के, हैं संहर्ता,
निज भक्तों के हित बनते, गोवर्धन धारी है ।। १ ।।
प्रेम गीत का, परम उपासक, घट-घट में, रहता है व्यापक,
सूर्य चन्द्रमा, का ये प्रकाशक,
सारी सृष्टि के है ये रक्षक, लीलाधारी है ।। २ ।।
सुर नर मुनी जन ध्यान लगावे, शिव सनकादिक पार न पावे,
रात दिवस इसका गुण गावे,
‘सांवर’ दास चरण का सेवक, जाये बलिहारी है ।। ३ ।।
लिरिक्स – सांवर जी