अभिमान न कर पगले, जीवन इक सपना है,
झूठे रिश्ते नाते, यहां कोई ना अपना है ।। टेर ।।
तर्ज – ऐ मेरे दिल-ए-नादान ।
जो अपना समझ करके, इसमें फंस जाता है,
वो लख चौरासी में, फिर-फिर भटकता है,
श्री श्याम भजन से हीं, मुक्ति-पथ पाना है ।। अभिमान …. ।। १ ।।
धन दौलत और माया, कोई काम ना आते हैं,
जब तक रहे संग तेरे, हर पल कल्पाते हैं,
यहां जो भी पाया है, वो यहीं रह जाना है ।। अभिमान …. ।। २ ।।
है मालिक वो तेरा, जो सबका रचैया है,
वो घट-घट का वासी, हर सह में बसैया है,
कर याद उसे प्यारे, हमें अपना बनाना है ।। अभिमान …. ।। ३ ।।
पथ देख-देख चलना, कहीं राह ना छूट जाये,
कर याद सदा इसको, तुझे मंजिल मिल जाये,
‘सांवर’ क्यूं सोच करे, मन श्याम दिवाना है ।। अभिमान …. ।। ४ ।।
लिरिक्स – सांवर जी