अब तूं ही बता गोपाल, कुण पार लगावेगो – २,
कुण आड़े आवेगा ।। टेर ।।
तर्ज – अब तू ही बता गोपाल ।
दुनियां तेरी ऐसी है, बटका सा भर मेरे – २,
गर तूं नहीं होवे तो, नैया न डूबो गेर – ३,
फसंगी मझधारां मं, कुण राह दिखावेगो ।। अब … ।।
तूं दाता दुनियां को, पण देव लिख्यो-लिख्यो – २,
मेरी गर मिटगी तो, फेरूँ सै श्याम लिखो – ३,
फूटी मेरी किस्मत न, कद हाथ लगावेगो ।। अब … ।।
‘रामकुमार’ ओ श्याम, अरजी मेरी सुन लीज्यो,
मेरी आफत न टालो, कानाँ तन मन दीज्यो,
तेरा हाथां म पतवार, सूँपी तूं ही जाणगो ।। अब … ।।