अब श्याम धणी मेरा न्याय करो, करो बंद जुबान जमाने की,
दुनिया को इजाजत दी किसने, मेरे प्रेम पे उँगली उठाने की ।। टेर ।।
तर्ज – बाबुल की दुआएँ लेती जा ।
मेरे भोवं पे हक है तेरा, इसपे जग का अधिकार नहीं,
भावों पे जमाना तंज कसे, मुझको हरगिज स्वीकार नहीं,
ये फर्ज तुम्हारा है बाबा, साँचो की लाज बचाने की ।। १ ।।
मेरे भावों को जगवालों ने, बिन समझे ही पाखंड कहा,
दुनिया वालों की आदत है, हर बात पे बात बनाने की ।। २ ।।
जिन्हें प्रेम का अर्थ पता ही नहीं, उस प्रेम को ये क्या तोलेंगे,
मेरे पेरम है झूठा या सच्चा, ये भेद श्याम ही खोलेंगे,
अब वक्त आ गया है ‘माधव’, सच्चाई से परदा हठाने की ।। ३ ।।
हर युग में सांवरिया जग ने, भगतों पे सवाल उठाये है,
दुनिया के सवालों के आगे, हनुमान भी बच ना पाये हैं,
भगवान को भी नौबत आई, तब सीना चीर दिखाने की ।। ४ ।।