आज श्याम जयंती है, दरबार लगाया है,
बाबा श्याम पधारे हैं बनड़ा सा बनाया है ।।
तर्ज – तूं किरपा कर बाबा कीर्तन करवाऊँगा ।
तेरी किरपा से बाबा उत्सव मनाते हैं,
तुम्हें लाड लडाने को मौके कम आते हैं ,
मेवा मिश्री माखन का केक मंगाया है,
केसर किसमिस कांजू से इसे सजाया है ।।
ग्यारस की है ये रात दिवाने आये हैं,
अपने मन की हर बात सुनाने आए खड़े हैं,
दिल को थाम अरदास लगाया है,
अब तारो, ना तारो ये तेरी माया है ।।
आज खुशी का मौका है झूमेंगे नाचेंगे,
भजनों की रस गंगा हम आज बहायेगे,
‘मित्र मण्डल’ के आंगन में फूलों से सजाया है,
कोना कोना हमने ऐसा महकाया है ।।