मैं हार गया हूँ बाबा, हारे का साथ निभावो,
मैं बैठा बाँह पसारे, एक बार तो हाथ बढ़ावो ।। टेर ।।
तर्ज – तुझे सूरज कहूँ या चंदा ।
हारे का साथ निभाना, तेरा दस्तूर पुराना,
मेरी उम्मीद भी तुम हो, प्रभु मुझको भूल ना जाना,
काँटों के इस जीवन में, इक रोज तो फूल खिलावो ।। १ ।।
विपदा ने घेर लिया है, जख्मों ने ढेर किया है,
मैं आस लगाऊँ किससे, सबने मुँह फेर लिया है,
है आश की डोर ये नाजुक, मुझे आकर धीर बंधावो ।। २ ।।
माना की आँखें नम है, होठों पे आया दम है,
मैं हार गया हूँ लेकिन, विश्वास मेरा कायम है,
अब दूर करो दुःख मेरा, खुशियों के दीप जलावो ।। ३ ।।
खाली जो दर से जाऊँ, क्या जग को मैं बतलाऊँ,
होगी बदनामी तेरी, जो हरगिज मैं नहीं चाहूँ,
‘माधव’ अब हाथ में तेरे, तरसावो या हर्षावो ।। ४ ।।