जब दुःख के दिन आये, हम जब भी घबराये,
हम तेरे सामने, श्याम रोने लगे-२,
तेरे सामने ज्यों ही, आँसू गिरे मेरे,
काम सारे मेरे, श्याम होने लगे-२ ।। टेर ।।
तर्ज – ये रेश्मी जुल्फें ।
केवल, आँसुओं की भाषा, समझता है तूं,
केवल, आँसुओं से कान्हा, पीघलता है तूं,
जब भक्त के आँसू बहते हैं, तेरे नैणां भी झरते हैं ।। १ ।।
ये तो, सदियों पुरानी, कंहावत है श्याम,
केवल, आँसू ही सच्ची, इबादत है श्याम,
बस यही पूजा स्वीकार तुम्हें, इस पूजा से है प्यार तुम्हें ।। २ ।।
ये तेरा, हृदय है कन्हैया, प्यार से भरा,
हो कोई, आँसू गिराकर, देखे जरा,
जब भक्त का आँसू गिरता है, फिर तूं एक पल ना रूकता है ।। ३ ।।
इन, अँखियों को ऐसा, बना दे तू श्याम,
तेरे, सामने ये आँसू, गिराते है श्याम,
यही चाहते ‘बनवारी’, अँसुवन से टूटे ना यारी ।। ४ ।।
लिरिक्स – जय शंकर चौधरी (बनवारी) जी