इस जग का हाल कन्हैया, तुम जानो सब दातार,
छुपा नहं है तुझसे मेरे सांवरिया सरकार ।। टेर ।।
तर्ज – सावन का महीना पवन ।
घट-घट समाये हो फिर, तुझे क्या बताऊँ,
जानते हकीकत सारी, और क्या दिखाऊँ,
अब करो ना आना कानी, मेरा दूर करो अंधियार ।। छुपा…१ ।।
जानूँ ना पूजा वन्दन, नहीं योग युक्ति,
कैसे हो उपवास व्रत, नहीं तन में शक्ति,
एक नाम आपका जानूं, क्यूंकि आप हो जग करतार ।। छुपा…२ ।।
पड़ा हूँ शरण में तेरी, उठा अपनावो,
लगाकर कलेजे, सारे क्लेश मिटावो,
जैसे रखो रह लूँगा, पर रहूँगा तेरे द्वार ।। छुपा…३ ।।
तूं ही एक मेरा स्वामी, ठौर ठिकाना,
अब तक निभाया है तो, आगे भी निभाना,
‘सांवर’ है दास तुम्हारा, और आप मेरे आधार ।। छुप…४ ।।
लिरिक्स – सांवर जी