आया शरण ठोकरें जग की खाके,
हटुगा तभी तेरी दया द्रष्टी पाके…
(तर्ज – नहीं चाहिए दिल दुखाना किसी)
तुने बुलाया तो मैं नहीं आया,
मेरे मन ने चाहा तो चरणों में आया,
बहुत दुख पाया हु मैं, तुझको भुला के,
आया शरण ठोकरें जग की खाके…
यदी लाज आती हो, पलकें उठालो,
चरण में पड़ा है बालक हिवडै लगालो,
हाथ फिरादो सिर पे, अपना बना के,
आया शरण ठोकरें जग की खाके…
ये तन तुम्हारा है जैसे नचालो,
चाहे गिरा दो चाहे उठा लो,
चाहे मेरे प्राण ले लो, गले को दबा के,
आया शरण ठोकरें जग की खाके…