तूं सोच जरा इंसान, तेरी क्या हस्ती है लिरिक्स

Tu Soch Jara Insan Teri Kya Hasti Hai Lyrics

तूं सोच जरा इंसान, तेरी क्या हस्ती है,
दो दिन का मेहमान जगत में, करता फिरे गुमान ।। तेरी…।।

तर्ज – यो पाण्डव कुल अवतार ।

कोड़ी-कोड़ी माया जोड़ी, खट-खट के मर जाये,
कब इसका उपयोग करेगा, तूं ना लौट के आये,
दूजा मालिक बन बैठेगा, निकलेंगे जब प्राण ।। तेरी…।।

देखत-देखत बचपन बीता, ढल गयी तेरी जवानी,
बीत गयी आपा-धापी में, तेरी ये जिन्दगानी,
ना जाने किस घड़ी जगत से, तेरा हो प्रस्थान ।। तेरी…।।

उस मालिक को याद किया ना, जिसने तुझे बनाया,
एक दिन खाली करनी होगी, ये भाई की काया,
इसे छोड़ उड़ जाये हँस्सा, क्या करता अभिमान ।। तेरी…।।

जितना दाना-पानी तेरा, जग में प्यार लुटाना,
अपने दिल की और दिलों पर, छाप छोड़ कर जाना,
‘बिन्नू‘ जग की चाह छोड़ दे, प्रभु का कर गुणगान ।। तेरी…।।

लिरिक्स – बिन्नू जी