तू है सखी बड भाग बड़ी,
नन्दलाल तेरे घर आवत है….
तू अपनों श्रृंगार करत है,
ये दर्पण हाथ दिखावत है,
तू है सखी बड भाग बड़ी,
नन्दलाल तेरे घर आवत है….
सब कोई इनके गुणन बखानत,
ये तेरो गुण गावत है,
तू है सखी बड भाग बड़ी,
नन्दलाल तेरे घर आवत है….
‘कुंभनदास’ लाल गिरधर प्रभु,
ये तो तेरे ही हाथ बिकावत है,
तू है सखी बड भाग बड़ी,
नन्दलाल तेरे घर आवत है….