तेरे दरबार की महिमा, सुनी जो श्याम घर-घर में,
मैं तेरे द्वार आया-२ ।।
(तर्ज : मेरे टूटे हुए दिल से…..)
इस जग में दर-दर मैं भटका, पर ऐसा दरबार न देखा,
बदल देवे जो भाग्य की रेखा,
गया खाली नहीं कोई, कभी दातार के दरसे ।। मैं तेरे ।।
देखी ये दुनियां रिश्ते नाते, वक्त पड़े पर काम न आते,
मिल भी गये तो आँख चुराते,
है मतलब के सभी साथी, तभी तो हार कर जग से ।। मैं तेरे ।।
हाथ दयाका सिर पर धरदो, मेरी खाली झोली भरदो,
जीवन को सुखमय तुम करदो,
करोगे जो कृपा मुझपर, नहीं भूलूँगा जीवन में ।। मैं तेरे ।।
तुमसे ही प्रभु आश लगायी, ‘बिन्नू’ की करलो सुनवायी,
रोज करूँगा तेरी बड़ायी,
तेरा भी नाम ऊँचा हो, मेरा उद्धार जो कर दो ।। मैं तेरे ।।
लिरिक्स – बिन्नू जी