सुन लेना घनश्याम, अरज मेरी सुन लेना ।। टेर ।।
तर्ज – कर दो बेड़ा पार शरण हम ।
मन बगिया का तूँ है माली, रहे न सूनी कोई डाली,
मिले फूल की छांव, अरज मेरी सुन लेना ।। सुन लेना …. ।।
मन मन्दिर में करो बसेरा, निभ जाये रिश्ता तेरा मेरा,
तूँ नाविक मैं नाव, अरज मेरी सुन लेना ।। सुन लेना …. ।।
देख रहे सब तेरे कानी, हम याचक और तूं है दानी,
तेरा ऊंचा ठांव, अरज मेरी सुन लेना ।। सुन लेना …. ।।
‘नन्दू’ ध्यावे भजन सुणावे, मौसीजी तुम्हें नित की सजावे,
मचे धूम हर गांव, अरज मेरी सुन लेना ।। सुन लेना …. ।।
लिरिक्स – नन्दू जी