श्याम तुमसे, आज कुछ कहना है,
हमें ज्यादा, हमें ज्यादा नहीं समझना है।।
अच्छी बातों को, सिखना चाहा-२
पर ना कोई, गुरु मिला हमको
सोचता हूँ, खता रही होगी-२
चैन जीवन का ना,मिला हमको
क्या करेंगे हमे बताना है-२
हमे ज्यादा, हमे ज्यादा नहीं समझना है।।(१)
जबसे इस धरा पे में तो आया हूँ-२,
आपसी रिश्तों में ये द्वेष कैसा,
सोचता हूँ कोई न बच पाया-२,
तेरी माया का जाल है ऐसा,
इससे भगवन, हमें बचाना है-२
हमे ज्यादा, हमें ज्यादा नहीं समझना है।।(२)
जब भी बैठु करूँ चिंतन तेरा-२,
माला एक भाव की भी बन जाये,
नाम सुमिरण में ऐसा खो जाऊं-२,
कोई बन्धन कभी न याद आये,
यही छोटा सा काम करना है,
हमे ज्यादा, हमें ज्यादा नहीं समझना है।।(३)
तेरी इच्छा से जग में आया हु,
तो इतनी सी कृपा भी और करो,
आचरण से ना हो दुखी कोई,
ऐसी सद्बुद्धि मुझे प्रदान करो,
तू ही मेरे ह्रदय का गहना है-२,
हमें ज्यादा, हमें ज्यादा नहीं समझना है।।(४)