श्याम तेरे भक्तों को,
तेरा ही सहारा है,
बाबा तेरे भक्तों को,
तेरा ही सहारा है….
तर्ज – बाबुल का ये घर
आशा निराशा ने,
घेरा परेशान हूँ,
कैसे बचू इनसे,
आखिर तो इंसान हूँ,
तेरी दया के बिना, साँवरिया,
तेरी दया के बिना,
अपना ना गुजारा है,
श्याम तेरे भक्तों को,
तेरा ही सहारा है….
मालिक तेरे जग का,
अंदाज निराला है,
भक्तो को पीना पड़ा,
यहाँ जहर का प्याला है,
पर वो कभी ना डरे, साँवरिया,
पर वो कभी ना डरे,
जिन्हें साथ तुम्हारा है,
श्याम तेरे भक्तों को,
तेरा ही सहारा है….
किसको कहे अपना,
अपने भी बेगाने है,
फुरसत नहीं इनको,
मतलब के दीवाने है,
प्रेमी से अपने मिला, साँवरिया,
प्रेमी से अपने मिला,
जो तुझको दुलारा है,
श्याम तेरे भक्तों को,
तेरा ही सहारा है….
मीत बनो मेरे,
हमें तेरी जरुरत है,
अपनों के खातिर सुना,
तुम्हें फुरसत ही फुरसत है,
‘नंदू’ तेरे खातिर, साँवरिया,
‘नंदू’ तेरे खातिर,
किया सबसे किनारा है,
श्याम तेरे भक्तों को,
तेरा ही सहारा है….
लेखक – नन्दू शर्मा जी