श्याम सुन्दर के सिवा कोई सहारा ही नहीं,
उस दयालु की दया बिन तो गुजारा ही नहीं ।।
हम नमकचौर है जो उसको भुला बैठे है,
उसने दो पल के लिए हम को बिसारा ही नहीं,
उस दयालु की दया बिन तो गुजारा ही नहीं,
श्याम सुन्दर के सिवा कोई सहारा ही नहीं ।।
कौन कहता है की वो फरियाद नहीं सुनता है,
वो तो सुनता है मगर हमने पुकारा ही नहीं,
उस दयालु की दया बिन तो गुजारा ही नहीं,
श्याम सुन्दर के सिवा कोई सहारा ही नहीं ।।
वो खेवैया है तो नैया को कोई डर ही नहीं,
वो अगर रूठा तो फिर नैया को किनारा ही नहीं,
उस दयालु की दया बिन तो गुजारा ही नहीं,
श्याम सुन्दर के सिवा कोई सहारा ही नहीं ।।