श्याम हमारा कैसा जादूगारा है,
अद्भुत है ये सब देवों से न्यारा है,
अनहोनी को होनी ये कर देता है,
इसीलिये तो लगता सबको प्यारा है ।। टेर ।।
तर्ज – दुल्हे का सेहरा सुहाना लगता है ।
सच्चे मन से जिसने भी, आवाज लगायी है,
श्याम के दरबार में, होती सुणायी है,
हारे हुये को मिलता यहाँ सहारा है ।। इसीलिये ।।
पल भर में ये खेल का, पाशा पलट देता,
जो दुखियारा उसके मन की, पीड़ा हर लेता,
नजर उठा कर जिसकी ओर निहारा है ।। इसीलिये ।।
दो आँसू की भेंट ये, स्वीकार करता है,
(सब) देखते रह जायें, चमत्कार करता है,
जब हो जाये इसका एक इशारा है ।। इसीलिये ।।
‘बिन्नू’ जो होके समर्पित, श्याम को ध्याये,
दुनिया के झूठे तमाशे, इसको ना भाये,
उनकी नश-नश में नाम की धारा है ।। इसीलिये ।।
लिरिक्स – बिन्नू जी