श्याम धणी सरकार, बड़ो ही न्यारो है,
मेरो श्याम को हर दरबार, जगत सूं न्यारो है ।।
तर्ज़ – मत घबड़ा नादान, श्याम ।
जो भी श्याम के मन्दिर ज्यावे, श्याम चरण मँ अरज लगावै,
से की सुणे पुकार, कहे जग सारो है ।। श्याम धणी ।।
कलयुग को यो सांचो धणी है, सैं की बिगड़ी अठै बणी है,
गुण गावै संसारा, यो सांचो दुवारो है ।। श्याम धणी ।।
कहवे ‘रवि’ जग पूज रह्यो है, सारो ही जग उमड़ रह्यो है,
साँचो लखदातार, यो नारो म्हारो है ।। श्याम धणी ।।