श्याम भजले, श्याम भजले, श्याम बिना उद्धार नहीं,
दूजा तारणहार नहीं, इस जैसा दातार नहीं ।। टेर ।।
तर्ज – कभी न कभी कहीं न कहीं ।
श्याम रिझाले, श्याम मनाले, श्याम से प्रीत लगाले तूं,
झूठे है सब संगी साथी, श्याम को मीत बनाले तूं,
लगन लगाले श्याम नाम की, इस दुनियां में सार नहीं ।। १ ।।
माया के चक्कर में फंस कर, तुझको फुर्सत ना होगी,
साथ न जायेगा कुछ तेरे, इसकी जरूरत तब होगी,
भवसागर में बिना श्याम के, सम्भलेगी पतवार नहीं ।। २ ।।
आश जगत की छोड़ दे प्यारे, कुछ ना मिलेगा दुनियां से,
मांग मांग तूं मांग बावरे, अरज लगा साँवरिया से,
सच्चा है दरबार श्याम का, कभी करें इन्कार नहीं ।। ३ ।।
भक्तजनों का कहना बंदे, श्याम का ध्यान लगाले तूं,
सच्चे सुख की मौज लूट ले, अन्त परमपद पाले तूं,
रे ‘बिन्नू’ क्यों श्याम प्रभु की, करते जय जयकार नहीं ।। ४ ।।
लिरिक्स – बिन्नू जी