साँवरे के रहते तुम काहे घबराते हो,
छोड़ के जो गया ही नहीं, उसे काहे बुलाते हो ।। सांवरे … ।।
तर्ज – श्याम तेरे भगतों को तेरा है ।
कभी सूखते नहीं है प्रभु, ये हाथों के छाले तेरे,
नाव खेने से फुरसत नहीं, कब मरहम लगाते हो ।। १ ।।
तुम्हें छोड़ भगतों को, कभी जाते नहीं देखा,
सभी यही कहते हैं, तुम देर से आते हो ।। २ ।।
जो कुछ भी पास में तेरे, तूंने मेहनत से कमाया है,
सारी कमाई अपनी, भगतों पे लुटाते हो ।। ३ ।।
कहते हो हमेशा तुम, श्याम हमें याद रखना,
हमें पलभर भी ना भूलना, यही याद दिलाते हो ।। ४ ।।
काम इतने भगतों के, तुम्हें बनवारी फुरसत नहीं,
इसीलिए काम खुद का, भगतों से कराते हो ।। ५ ।।