तर्ज : दिल के अरमां …
साँवरे जलवा दिखाकर चल दिये,
दर्द सा दिल में जगा कर चल दिये….
कितनी ही, कोशिश से, आये हो तुम,
एक झलक, प्यारी सी, दिखलाये हो तुम,
आग ये कैसी लगा कर चल दिये ||1||
कैसे सह पायेंगे, हम ये वेदना,
सोच कर मूर्छित हुई है चेतना,
प्रेम की मदिरा, पिला कर चल दिये ||2||
ये बता दो, क्या हमारा दोष है,
ना हमें, है होश, ना बेहोश है,
क्यों हमें, पागल बना कर चल दिये ||3||
क्या बिगड़ जाता, ठहर जाते अगर,
बोलते, बतलाते हम, दिल खोल कर,
नींद “बिन्नू” की उड़ा कर चल दिये ||4||