सदा सांचा खाटू का बाबा श्यामजी,
थारो ध्यान धरां म्हें लेवां नाम जी ।। सदा सांचा।।
तर्ज – स्वरचित ।
निशदिन थारी ज्योत जगावां थारी आरती गावां
इबके मिलसी श्याम तिहारी, मनड़े न यो समझावां
ओ म्हारे हिवड़े थे हो आराम जी ।। निशदिन।।
लीले प चढ़कर आवोजी बाबा मोर छड़ी संग ल्यासी
निज भक्तां का श्याम बिहारी दुखड़ा की दूर भगासी
ओ सदा भगतां का राखो ही मान जी ।।
दास ‘अजय’ की याही विनती सबने सुखी बणावो
मनस्या पूरो सब वेग की दाता, पीड़ा सेंकी मिटावो
म्हांने फागण मं बुला ल्यो थार थाम जी ।।