सच्चा दरबार है दरबार में अभिमान ना कर लिरिक्स

Sacha Darbar Hai Darbar Mein Abhiman Na Kar Lyrics

सच्चा दरबार है दरबार में अभिमान ना कर,
जो दिया श्याम ने उस मान का अपमान ना कर ।।

तर्ज – में तो एक ख्वाब हु इस ख्वाब से तू प्यार ना कर ।

ये जमाना भी, पहले सा गुजर जाएगा,
हमसे बेहतर कोई, महिमा प्रभु की गाएगा,
जग दिखावे के लिए, श्याम का गुणगान ना कर,
सच्चा दरबार है दरबार में अभिमान ना कर ।।

बैठ एकांत में, अंतर मनन तू कर जरा,
सच्चे हृदय से तू, गिरधर का ध्यान धर जरा,
धर्म की आड़ में, विषयों का तू विषपान ना कर,
सच्चा दरबार है दरबार में अभिमान ना कर ।।

इसके दरबार को, बाजार बनाया तुमने,
बेचकर नाथ, संसार सजाया तुमने,
शर्म खुद पर कहीं आए तो, अब ये काम ना कर,
सच्चा दरबार है दरबार में अभिमान ना कर ।।

लिरिक्स – संजू शर्मा जी